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40 के पार बढ़ती उम्र
बढ़ती उम्र व डोर है जो जितना ज्यादा लंबी होती जाती है वह उतने ही अपने आयाम को फैलाती जाती है। अपने आसपास के दायरे के साथ-साथ बौद्धिक और शारीरिक रूप से भी कई फेरबदल करती रहती है।
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उलझने (जिंदगी कि )
उम्र के साथ जिंदगी अपने आयाम बदलती रहती है ।कभी दुखो का सिरा मिलता है,तो कभी उलझन में ही गुम हो जाता है ।...
मन की व्यथा – विचारों की कथा
"मन की व्यथा विचारों की कथा
सब तितर-बितर हो जाता है ।।
जब अपनों से मिलता है, दुख -दर्द
तब पीड़ा असहनीय हो जाता है ।।
जिंदगी हर...
मनोरंजन के (पुराने संसाधन)
Ahsas
neetuhindi - 0
आज से ठीक 30, 35 साल पहले की दुनिया कुछ और थी और आज कुछ और है । बात यहां पर अगर मनोरंजन से...
बुद्धिमान लोगों की पहचान
आज वक्त ऐसा है कि अगर आप के पास बुद्धि नहीं है तो आप के पास कुछ भी नहीं है । दुनिया मे लोग...